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परोपकार द्वारा आयोजित श्री भक्तमाल कथा परम पूज्य स्वामी श्रीमद् जगतगुरु द्वाराचार्य मलूक पीठाधीश्वर श्री राजेंद्रदास देवाचार्य जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य श्री अनंतानंददास जी महाराज(मलूक पीठ आश्रम मुख्य पुजारी जी) के मुखारविंद

परोपकार द्वारा आयोजित श्री भक्तमाल कथा परम पूज्य स्वामी श्रीमद् जगतगुरु द्वाराचार्य मलूक पीठाधीश्वर श्री राजेंद्रदास देवाचार्य जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य श्री अनंतानंददास जी महाराज(मलूक पीठ आश्रम मुख्य पुजारी जी) के मुखारविंद से आज कथा सत्र के द्वितीय दिवस में भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भक्ता ठाकुर जी के हृदय कमल में निवास करने वाली श्री मीराबाई जी के भक्तिमय चरित्र पर कथा का रसास्वादन हम मुंबई वासियों को निरंतर 19 अप्रैल से 21 अप्रैल 2024 तक स्वामी श्री प्रेमपुरी आश्रम में प्राप्त हो रहा है इस अलौकिक दिव्य भक्तिमय कथा को सुनने का सौभाग्य हमें ठाकुर जी की आहेतु की करुणा कृपा से प्राप्त हो रहा है
भक्त के बिना भगवान् का अस्तित्व कैसा ? भक्त की भक्ति रूपी साधना ही भगवान् को प्रतिष्ठित करती है, चारों युगों के भक्तों की श्रृंखला माला ही भक्तमाल है, श्रीभक्तमाल ग्रन्थ के रचियता श्री नाभादास जी महाराज है, भक्तमाल कथा में भगवान् के प्रति भक्तों का समर्पण और उनकी दिव्य भक्ति का दर्शन हैं
इस ग्रन्थ की यह विशेषता है कि इसमें सभी संप्रदयाचार्यों एवं सभी सम्प्रदायों के संतो का समान भाव से श्रद्धापूर्वक संस्मरण किया गया है,
इसमें चारों युगों के भक्तों का वर्णन हैं, ध्रुव, प्रहलाद, द्वादश प्रधान भक्त सूर, कबीर, तुलसी, मीरा, ताजदेवी आदि अनेकों भक्तो की माला ही भक्तमाल है , भगवान् की कथा भक्त सुनते हैं, तो भक्तों की कथा स्वयं भगवान् सुनते हैं !

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